पिथौरा के मजिस्ट्रेट ने कानून के प्रति किया लोगों को जागरूक
पिथौरा संस्कार न्यूज़ गौरव चंद्राकर / राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा निर्देश में महिलाओं के संबंधित कानूनों को लेकर तालुका विधिक सेवा समिति पिथौरा के द्वारा जनपद पंचायत पिथौरा, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास विभाग एवं अधिवक्ता संघ पिथौरा के सहयोग से आज विकासखंड के 10 ग्रामों सहित 10 स्कूलों में एक साथ विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया, साथ ही तीन अन्य ग्रामों में महिलाओं को पृथक पृथक जानकारी दी गई जिससे लगभग 4500लोग एक साथ लाभान्वित हुए हैं ।
पिथौरा विकासखंड के ग्राम भिथिडीह में तालुका विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष प्रतीक टेम्भूरकर ने टोनही प्रताडऩा निवारण अधिनियम के बारे में ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है। शिक्षा-दीक्षा एवं जागरूकता के अभाव में आज भी हमारे समाज में कई तरह की कुप्रथाएं, रूढिय़ा व अंधविश्वास प्रचलित है। गांवों में झाड़-फूंक व जादू-टोना जैसा अंधविश्वास कायम है। लोगों का मानना है कि टोनही जादू-टोना कर लोगों का अहित करती है। उन्होंने कहा कि जादू-टोना केवल मन का भ्रम है। इसके नाम पर महिलाओं को अपमानित करना उन्हें प्रताडि़त करना उचित नहीं है। आज के वैज्ञानिक युग में इस तरह की धारण मात्र एक अंधविश्वास और सामाजिक बुराई के अलावा कुछ नहीं है। इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ टोनही प्रताडऩा निवारण अधिनियम 2005 पारित किया गया है।
इस अधिनियम में किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में चिन्हित किया जाना दंडनीय अपराध है। कोई व्यक्ति स्वयं अथवा अन्य व्यक्ति के माध्यम से पहचान किए गए व्यक्ति को अर्थात टोनही को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करेगा या नुकसान पहुंचाएगा उसे 5 वर्ष के कठोर कारावास एवं जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रावधान है। श्री टेम्भूरकर ने बाल विवाह प्रतिषेध कानून पर भी विस्तार से जानकारी दी । इस दौरान ग्रामीणजन,स्कूली बच्चे शिक्षक, शिक्षिका व अधिवक्ता मुरली प्रधान,अमन अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे। इस अवसर पर ग्रामीणों को टोनही प्रताडऩा अधिनियम से संबंधित पाम्पलेट का वितरण किया गया।