संगोष्ठी की अध्यक्षता स्व शिवा महांती की सुपुत्री अनुभूति महांती ने की।
गोष्ठी की शुरुवात में स्व शिवा महांती के दो प्रकाशित कविता संग्रह क्रमशः संशय के बादल और कुछ ही क्षणों में पर ख्याति प्राप्त साहित्यकार एवं पत्रकार स्वराज्य करुण लिखित आलेख का पठन किया गया।जिस पर टिपण्णी करते हुए स्वराज्य करुण ने कहा है कि समय और समाज की सच्चाइयों के बारे में न्यूनतम शब्दों में अधिकतम कह देने का जज्बा और हौसला शिवानंद की क्षणिकाओ में देखा जा सकता है।उनकी क्षणिकाओं में जनता की व्यथा उभर कर आती है और हमे मानवीय संवेदनाओं से जोड़ती है। यद्यपि शिवानंद अब इस दुनिया में नहीं रहे किन्तु उनकी कविताओं में जनता के दुख दर्द की अभिव्यक्ति और अनुगंज हम आज भी महसूस कर सकते है।
नगर के सर्वोदयी कार्यकर्ता अनन्त सिंह वर्मा ने कहा कि क्षेत्र में शिवा महांती के साहित्यिक अवदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनका स्वयं का जीवन काफी संघर्ष में रहा है बावजूद इसके समाज के शोषित और पीड़ित तबके के लिए निडरता के साथ लिखते रहे।
सामाजिक कार्यकर्ता रितेश महांती के निवास पर आयोजित कार्यक्रम में महांती परिवार की ओर से मधुसूदन महांती,रितेश महांती,आकाश महांती, के साथ उनके परिवार जनों ने दिवंगत कवि के चित्र पर पूजन अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।श्रृंखला साहित्य मंच के सदस्यों ने भी उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी में संतोष गुप्ता,माधव तिवारी, बंटी छत्तीसगढ़िया, निर्वेश दीक्षित, गुरप्रीत कौर,सरोज साव, जितेश्वरी साहू,दिनेश दीक्षित,एफ ए नंद, संजय गोयल, एस के नीरज, अनूप दीक्षित, बागबाहरा के हबीब समर, और डोलामणी साहू ने अपनी अपनी कविताओं का पाठ किया । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अनुभूति महांती ने पिता की साहित्यिक विरासत को सहेजने का संकल्प लिया और क्षेत्र की साहित्यिक गतिविधियों में भरपूर योगदान देने की मंशा व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन उमेश दीक्षित ने तथा आभार प्रदर्शन आकाश महांती ने किया। इस अवसर पर अनन्त वर्मा, कुलदीप सलूजा, गुरुचरण सलूजा, सुरेश ठाकुर, सुल्तान अहमद, गुरदीप चावला, अंतर्यामी प्रधान, यू के दास, मयंक पांडे,विजय प्रधान,इंद्रजीत सिन्हा,रमेश सोनी,शुभम अग्रवाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे। अंत में दो मिनट मौन धारण कर स्व शिवा महांती को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।