हम चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थी अपने लोक पर्वों की गरिमा को जानें, उनके पीछे छिपे ज्ञान, वैज्ञानिक सोच और सामाजिक मूल्यों को अपनाएं। हरेली जैसे पर्व बच्चों को जड़ों से जोड़े रखते हैं, और उनमें संवेदनशीलता, आभार और संस्कृति के प्रति सम्मान का भाव पैदा करते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय परिसर में नीम की टहनियों को दरवाजों पर बांधकर और पारंपरिक गीतों के साथ हुई। बच्चों द्वारा हल, फावड़ा, गैंती, कुदाल आदि किसानी में उपयोग होने वाले औजारों की पूजा की गई और गाय- बैलों को सजाकर उनका महत्व बताया गया। छोटे बच्चों ने पारंपरिक खेल ‘गेड़ी चढ़ाई’ में भी भाग लिया जिससे उनमें छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रति उत्साह देखने को मिला। इस प्रकार हरेली पर्व ने न केवल बच्चों को स्थानीय परंपराओं से जोड़ने का कार्य किया, बल्कि उन्हें प्रकृति और कृषि के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई।